123Guestbook.com will be shutting down on the 1st of July. Learn more

Your comments encourage us to do more efforts.
Your suggestions guide us to improve further.
Good thoughts by you can help someone.
Share new ideas to combat Global Warming Or other evils of the world.
You can ask queries, we will try to resolve them.

« Back to website
The owner of this guestbook has (temporarily) disabled adding new messages.
Name:
Email:
Message:

Newer10 11 12 [13] 14 15 16Older
Messages: 181 until 195 of 305
Number of pages: 21
11:54am 07-12-2010
Ajay Singhal
अपनी बेटी का जन्मदिन एक नेत्रहीन स्कूल में मनाया | इस अवसर पर स्कूल के बच्चो ने एक स्वागत गीत प्रस्तुत किया | इस गीत के बोल आपके सम्मुख रख रहा हुईं यह गीत स्कूल के नेत्रहीन प्रधानाचार्य श्री गोपी चंद द्वारा लिखा गया है | बच्चो ने उनकी और भी शानदार रचनाओ की प्रस्तुति दी . गीत क्यूंकि विडियो सुनकर लिखा गया है अत हो सकता है एक दो शब्द मुझसे ठीक न लिखे गए हो | अगर कोई हिंदी साहित्य सभा का सदस्य गोपीचंद जी की कविताओ की किताब निकलवाने में सहयोग कर सके तो उनका हम बड़े आभारी होंगे |

आपने आकर हे महोदय, हम पर है उपकार किया
दर्श का सपना था जो दिल में, उसको है साकार किया

मन के चमन में छायीं बहारें, महका कोना कोना है
ख़ुशी से हम पागल बने झूमें, अजब आपका होना है
शब्दों में कैसे वर्णित हो, आज जो शुभ बेला आई
हमको विस्मित ना कर देना, रखना इतनी प्रभुताई
आपने आकर हे महोदय, हम पर है उपकार किया .........

इच्छुक हैं हमें मिले आपसे, गंगाजल सा निर्मल ग्यान
जिसके सहारे आगे बढें हम, दुनिया में पाएं सम्मान
सभी से हमको स्नेह मिले बस, इतना हमको वर दे दो
वर्ण करेंगे सदा आपको, यह हमको भण्डार दिया
आपने आकर हे महोदय, हम पर है उपकार किया .........

हीन नहीं हम भावों से हैं, ज्योति से हम हीन हैं
श्रेष्ठ जनों का आशीष पाने को, रहते तल्लीन हैं
कार्य करें हम तन्मयता से, बस ऐसी शक्ति दे दो
देकर आशीर्वाद आज नवशक्ति का संचार किया
आपने आकर हे महोदय, हम पर है उपकार किया

इस गाने का विडियो

http://www.youtube.com/watch?v=Ibw6JOi2aDo&feature=player_embedded
6:51am 07-12-2010
Sidharth Agarwal
thanks alokita and abhishek....
for sharing your thoughts with us...
11:01am 05-12-2010
Alokita
एक दास्ताँ
===========
उन भुली बिसरी बातों में
खोई हूँ तुम्हारी यादों में
बीते थे वो सावन मेरे
बैठ के डाली पर तेरे
तुम्ही पर तो था प्यारा घोंसला मेरा
तुम्हारे हीं दम से था बुलंद हौंसला मेरा
तुम्ही पर रह मैंने चींचीं कर उड़ना सीखा
जीवन की हर मुश्किल से लड़ना सीखा
काट कर कँहा ले गए तुम्हे इंसान ?
बन गए हैं ये क्यूँ हैवान ?
मुझे रहना पड़ता है इनके छज्जों पर
जीना पड़ता है हर पल डर डर कर
मैंने तो खैर तुम पर कुछ साल हैं गुजारे
पर कैसे अभागे हैं मेरे बच्चे बेचारे
कुछ दिन भी वृक्ष पर रहना उन्हें नसीब न हुआ
कुदरती जीवन शैली कभी उनके करीब न हुआ
काश! वो दिन फिर लौट आये
हरे पेड़ पौधे हर जगह लहराए
10:59am 05-12-2010
Abhishek
शीत ऋतू पर हमारे योगदान क्या हों
एक रचना सहित ऋतू पर (सन्देश -पटाखे का उपयोग न करें)
........................................................................................
.....


शीत ऋतू की फिर से होगी शुरुआत
फिर से होगी माघ और पूस की रात
कुल्फी ठंडई अब कीसी को न भाएगी
गरमा गर्म चाय पकौरे सब का जी ललचाएगी

अब सीलिंग फैन और AC को करो गुड बाई
ओढो दुशाला और अपना लो रजाई
हीटर चलाओ ,अंगीठी जलाओ
आग तापकर ठंड को भगाओ

उनी कपरो में ही यारों घर से बहार जाना
फैशन के चक्कर में यारों अपनी जान न गवाना
दूध के संग जलेबी खाओ
या फिर पूरी हलवा बनबाओ

मौज उराओ दोस्तों के संग
महफ़िल में भर लो अपने रंग
चवन प्राश खा बनो तंदरूस्त
आलस छोड़ो हो जाओ चुस्त

पर अब तुमको है कुछ बतलाना
सच क्या है तुमको दिखलाना
तुम फिर भी ठण्ड सह ही लोगे
कठीनाई में भी तुम हंस ही लोगे
पर सोचो ज़रा उनका भी हाल
जो सडको पर फिरते बेहाल
तुम्हारे पास है हीटर दुशाला
पर उनको कौन है पूछने वाला
तुम्हारे लिए आलिशान घर है
उनका तो तनहा सफ़र है

ठण्ड गर्मी बरसात उनको रुलाते हैं
वो फिर भी हंसकर अपना गम भुलाते हैं
क्या तुम्हे ये सब दिखलाई नहीं परता
क्या तुम्हारा कोई फ़र्ज़ नहीं बनता
telivision पर खबरे सुनकर
कम्बल ओढ़े तुम सिर्फ आहें भरोगे
या फिर सब कुछ मिटने से पहले
तुम भी खुद को बदलोगे ?
ठिठुरन से हर वर्ष न जाने कितने लोग जान गंवाते हैं
और हम हजारों रुपयें केवल पटाखों पर ही लुटाते हैं !
क्या इन पैसों को इस तरह लुटाओगे ...?
या फिर किसी बेसहारे को भी हँसाओगे...
सोच लो तुम्हे की तुम्हे करनी है कोई साजेधारी
या फिर युहीं बढती रहेगी मजलूमों की लाचारी
तो फैसला तुम्हारा है की सब कुछ तुम्हारे पास है
उन बेसहारों को तुम्ही नवयुवकों से आस है.....
3:15pm 04-12-2010
Ajay Singhal, Crazy
Thanks Harish ji and abhishek ji...
time needs you. you have the power of pen... it can creat zeal, courage and new directions in the heart of thousands...
thanks for being a part of this movement...
11:03am 04-12-2010
harish bhatt
हे मनुज कुछ सोच तो तू.........
दोस्तो अपने चारों ओर नज़र करता हूँ तो पाता हूँ की कंकरीटी सभ्यता का विस्तार निगल लेने को आतुर हैं हमे दिन-ब- दिन, विकास की बहुत बड़ी कीमत हैं ये, ओर इसके लिए मैं खुद को ज़िम्मेदार मानता हूँ शायद आप भी मुझसे सहमत हों

हे मनुज कुछ सोच तो तू क्या धरा को दे रहा
प्रकृति मैं विष घोल कर तू प्राण वायु ले रहा!!

नग्न से दिखते ये जंगल, माफ़ तो क्योंकर करेंगे
वो जो उजड़े हैं जड़ों से, घौसले कैसे बसेंगे,
कर औरोको मझधार मैं, अपनी ही कश्ती खे रहा
हे मनुज कुछ सोच तो तू, क्या धरा को दे रहा!!

जंगलों को काट कर जो, बस्तियाँ तूने बसाई
वैभवका हर समान था, घरमैं मगर खुशियाँ नआई
तेरे ही तो पाप हैं पगले, तू जिनको धो रहा
हे मनुज कुछ सोच तो तू, क्या धरा को दे रहा

इन धधकती चीमनियों के, दंश से कैसे बचोगे
बच भी गये गर मौत से पर, पीडियों विकृत रहोगे!!
दोष किसको देगा जब, खुद ही तू काँटे बो रहा
हे मनुज कुछ सोच तो तू, क्या धरा को दे रहा!!

अब ना चेते तो धरा की, परतों मैं खोदे जाओगे
डायनासोरों की तरह, क़िस्सों मैं पाए जाओगे!!
यम तेरे सर पर खड़ा, तू हैं की ताने सो रहा
हे मनुज कुछ सोच तो तू, क्या धरा को दे रहा!!

वक्त हैं अबभी संभल, मततोड़ प्रकृति संतुलन को
जो भी जैसा हैं वही, रहने दे इस पर्यावरण को
वरना फिर भगवान भी, तुझको बचाने से रहा!!
हे मनुज कुछ सोच तो तू, क्या धरा को दे रहा
प्रकृति मैं विष घोल कर तू प्राण वायु ले रहा!!
8:14am 04-12-2010
abhishek


प्रकृति का करो तुम संरक्षण

यही करती है जीवन का सृजन

वृक्षों को तुम लहलहाने दो

पशु पक्षियों से तुम प्रेम करो

करो नित्य सौंदर्य का अवलोकन

तुम्हे देना होगा ये वचन

करोगे कर्तव्यों का निर्वहन

नदियों ने तुमको जल दिया

मत रोको उनके धारा को

वृक्षों ने तुमको फल दिया

मत उनका करो तुम दोहन

कुदरत देती तुम्हे जीवन दान

तुम कर लो इसका अब नमन

सोचो जब वर्षा न होगी

क्या खाओगे क्या पिओगे

जब नदियाँ सुख जाएँगी

झुलसेगी ये धरती जब

तब सह न सकोगे तुम तपन

अगर बचाना है मानवता को

तो मानना होगा ये कथन

तुम्हे रोकना होगा प्रदुषण

अगर तुम अब भी न सुनोगे ये पुकार

तुम न करोगे इसका सम्मान

तो कब तक करेगी ये तुझको वहन

तुम्हे देखना होगा तब रौद्र रूप

तब करना होगा सब सहन

इसलिए तुम्हे मैं कहता हूँ

ये प्रकृति देती है तुमको जीवन

समझो तुम इसको अपना मित्र

खोलो तुम अपना अंतर्मन

प्रकृति का करो तुम संरक्षण

यही करती है जीवन का सृजन

यही करती है जीवन का सृजन
..........सभी प्रकृति प्रेमियों को समर्पित........
9:13am 30-11-2010
raj porwal
slogan,
work with nature, not against it.
6:08am 26-11-2010
Sidharth Agarwal
This is a good start to start a link of slogan. Many time people dont get appropriate slogans. I request to all please send slogans in hindi or in emglish to [email protected]
10:36am 24-11-2010
Panchtatva
If you focus on results, you will never change. If you focus on change, you will get results.
11:08pm 18-11-2010
Payal
A nice thought by Mother Teresa “Let us not be satisfied with just giving money. Money is not enough, money can be got, but they need your hearts to love them. So, spread your love everywhere you go.”
7:13pm 16-11-2010
Nishtha saini
God does not like hardness of heart and toung thats why he made both boneless.
7:04pm 16-11-2010
Sidharth Agarwal
look at the news in local hindi news papers which shows that the pollution is less than 2008 pollution index.
http://panchtatva.in/News.shtml

Crazygreen also organise a essay compitition in schools about the harm of crackers. more than 3000 entries we receive and we will reward all childs who participate in this compitition. If you feel you too should work for nature and humanity. please join us at
http://panchtatva.in/News.shtml

or visit us at
www.panchtatva.in
6:49pm 16-11-2010
Ajay Singhal, Crazy
report should be in pdf format to save it from manipulations. Otherwise many persons can use it for fake presentations. i suggest to present this report in PDF format.
2:54am 16-11-2010
Panchtatva
Read the report of mass plantation at stone crushers' premises in REPORTS link. Also, check IN NEWS link.
Messages: 181 until 195 of 305.
Number of pages: 21
Newer10 11 12 [13] 14 15 16Older